एक अमिट मुस्कान छिपी है
एक अमिट मुस्कान छिपी है
उर अंतर की गहराई में,
वह मनमोहन यही चाहता
उसे खोज लें फिर बिखरा दें !
चलना है पर चल न पाए
भीतर एक कसक खलती है,
उस पीड़ा के शुभ प्रकाश में
इक दिन हर बाधा टलती है !
मीलों का पथ तय हो जाता
यदि संकल्प जगा ले राही,
हाथ पकड़ लेता वह आकर
जिसने उसकी सोहबत चाही !
अल्प बुद्धि छोटा सा मन ले
जीवन को हम कहाँ समझते,
जन्म-मरण सदा एक रहस्य
आया माधव यही बताने !
कण-कण में जो रचा बसा है,
प्रीत सिखाने जग में आया
अपनी शुभता करुणा से वह
मानव को हरषाने आया !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार !
हटाएंकण-कण में जो रचा बसा है, प्रीत सिखाने जग में आया"
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
स्वागत व आभार!
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (07-12-2021 ) को 'आया ओमीक्रोन का, चर्चा में अब नाम' (चर्चा अंक 4271) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत आभार!
हटाएंसुंदर प्रेरक रचना ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंअद्भुत उद्गार, मीलों का पथ तय हो जाता
जवाब देंहटाएंयदि संकल्प जगा ले राही,
हाथ पकड़ लेता वह आकर
जिसने उसकी सोहबत चाही ! बहुत खूब लिखा अनीता जी
मीलों का पथ तय हो जाता
जवाब देंहटाएंयदि संकल्प जगा ले राही,
हाथ पकड़ लेता वह आकर
जिसने उसकी सोहबत चाही !
बहुत ही सुन्दर... उसकी हाथ पकड़ लिया तो किसी और की जरूरत ही नहीं। बेहतरीन सृजन 🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति स्नेहसिक्त।
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