सेहत का है राज यही, नहीं भूलना इन्हें कभी
समय पे सोना औ' जागना
बात-बात पर दुखी न होना,
थोड़ा सा ही पौष्टिक भोजन
आसन, प्राणायाम साधना !
दर्द कभी हो कहीं देह में
यह तन की पुकार है सुनना,
उलझे से हों ग़र विचार तो
यह मन का विकार है गुनना !
क्रोध जगे तो ज़रा ठहरना
वातावरण प्रदूषित करता,
गहरी चंद सहज श्वासें ले
अंतर्मन को ख़ाली करना !
जीवन एक उपहार प्रभु का
सत्यम शिव सुंदर जब होगा,
मन उत्साहित शरीर ऊर्जित
हर पल तब ही सुखद बनेगा !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 05 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार!
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(5-12-21) को "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ"
( चर्चा अंक4269)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
क्रोध जगे तो ज़रा ठहरना
जवाब देंहटाएंवातावरण प्रदूषित करता,
गहरी चंद सहज श्वासें ले
अंतर्मन को ख़ाली करना !..क्या बात कही दीदी,बहुत सुंदर प्रेरक अभिव्यक्ति ।
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत ही उम्दा सृजन आदरणीय मैम
जवाब देंहटाएंउत्तम सीख
जवाब देंहटाएंउत्तम सृजन
स्वागत व आभार अनीता जी!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी!
हटाएंबहुत सी छोटी छोटी बातें सेहत के लिए अच्छी हैं और सभी से कुछ न कुछ सकारात्मक मिलता है ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
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