रविवार, अगस्त 14

आजादी की शमा जब जली लहराती



आजादी की शमा जब जली लहराती  

तिरंगा सुनाता है अपनी कहानी 
राजा है इसमें न ही कोई रानी, 
शहीदों के खूं से लिखी यह गयी है 
हजारों की इसमें छुपी क़ुरबानी !  

गुलामी का दर्द भयानक बड़ा था
घुट घुट के जीते थे शासन कड़ा था,  
आजादी की शमा जब जली लहराती  
तिरंगा अम्बर  में ऊँचा उड़ा था !

बापू ने इसमें भरे रंग प्यारे 
चरखा बना चक्र, कई संदेश धारे, 
बढ़ते चलें तोड़ बाधायें पथ की 
मंजिल सदा देती, आशा पुकारे !
 
केसरिया सुनाये साहस की गाथा  
हरियाला भारत सुख सपने  सजाता,  
सच्चाई, शांति का संदेशा देकर   
तिरंगा दिलों में आकांक्षा जगाता ! 

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