बुधवार, अक्तूबर 19

सत्य

सत्य 


सत्य अमोघ है 

आग है 

शीतल जलाभिषेक है 

इससे कोई बच नहीं  सकता 

सत्य हुए बिना कोई चैन से जी नहीं सकता 

इसका एक कण झूठ के हजार पर्वतों से ज्यादा बलशाली है 

सत्य पीछा नहीं छोड़ता 

जब तक आप उस पर चलना आरम्भ न कर दें 

यह अंतर का उल्लास है 

वाणी की मिठास है 

और आपसी विश्वास है

सत्य प्रेम की गर्माहट है 

दिल के रिश्तों की नर्माहट है 

सत्य का दामन थाम लें तो वहीं ले जाता है 

हमें अपने आप से मिलाता है 

सत्य नारायण है 

अति पावन है 

अनंत युगों से उसका ही आराधन है 

वह शिव का नर्तन है 

स्नेह का वर्तन है 

आओ उसके पथ पर चलें 

पल पल उससे ही मिलें !!


9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 20 अक्टूबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं