दीपावली
दिव्य प्रकाश, उजास, बिखेरे
दीपावली तमस हर लेती,
द्युति, आलोक, ज्योति, उजियारा
हर कोना जगमग कर देती !
माटी के दीपों का वैभव
अंतर बाहर करे प्रकाशित,
दीप्ति झर रही तिमिर तिरोहित
लख हर नयन हुआ आनंदित !
दीप शिखा संकल्प जगाए
जीवन पथ आलोकित करती,
दैदीप्यमान स्वतः प्रज्जवलित
आत्मदीप में आभा भरती !
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-10-22} को "वीरों के नाम का दिया"(चर्चा अंक-4589) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी !
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