सोमवार, अक्तूबर 24

आलोकित होगा जीवन पथ

आलोकित होगा जीवन पथ


तन माटी का इक घट जिसमें 

मन कल-कल जल सा नित बहता,

 परितप्त हुआ फिर  शीतल सा  

बन वाष्प  उड़ा  नभ में जाता !

 

या तन माटी का घट जिसमें 

उर बसा नवनीत सा कोमल, 

जिसे चुरा ले जाता नटखट 

गोकुल वाला कान्हा  श्यामल !


बना  सोम, वरुण, देव पावक

वही अनोखे खेल रचाता, 

तोड़ बंध जो आये बाहर 

निज हाथ थमाए ले जाता !


यदि तन माटी-दीप बना लें  

प्रेम स्नेह से बरबस निखरे ,  

गति जिसकी ऊपर ही ऊपर 

प्रखर आत्मज्योति जल बिखरे !


ताप हरेगा हर विकार तब 

आलोकित होगा जीवन पथ, 

ज्योति परम से सहज जुड़ेगी 

दीवाली का यही शुभ अर्थ ! 



4 टिप्‍पणियां: