आलोकित होगा जीवन पथ
तन माटी का इक घट जिसमें
मन कल-कल जल सा नित बहता,
परितप्त हुआ फिर शीतल सा
बन वाष्प उड़ा नभ में जाता !
या तन माटी का घट जिसमें
उर बसा नवनीत सा कोमल,
जिसे चुरा ले जाता नटखट
गोकुल वाला कान्हा श्यामल !
बना सोम, वरुण, देव पावक
वही अनोखे खेल रचाता,
तोड़ बंध जो आये बाहर
निज हाथ थमाए ले जाता !
यदि तन माटी-दीप बना लें
प्रेम स्नेह से बरबस निखरे ,
गति जिसकी ऊपर ही ऊपर
प्रखर आत्मज्योति जल बिखरे !
ताप हरेगा हर विकार तब
आलोकित होगा जीवन पथ,
ज्योति परम से सहज जुड़ेगी
दीवाली का यही शुभ अर्थ !
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी!
हटाएंदीपावली की वेला में यही सर्वोत्तम भावना ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार नूपुर जी!
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