इक विश्वास हृदय में अनुपम
जीवन इक उपहार उसी का
जो सदा निकट, है सुदूर अति,
जिससे यह श्वासें चलती हैं
प्राणों में बल, तन-मन में गति !
जीवन ज्यों स्वीकार सभी का
सुख-दुःख बारी-बारी बरसे,
दिवस बिना भला कैसी रात्रि
स्मित अधरों पर, अश्रु नयन में !
जीवन है इज़हार प्रेम का
घटता-बढ़ता नहीं मोह सम,
एक अचल मृदु आश्रय कोई
इक विश्वास हृदय में अनुपम !
जीवन शुभ व्यापार प्रकृति का
शीत कँपाए, ग्रीष्म सताए,
ऋतु बहार, फिर पतझड़ लाती
बादल बारिश राग सुनाए !
जीवन इक उपकार किसी का
कोई दाना, वस्त्र उगाए,
दिया ज्ञान, घर-द्वार बनाता
पग-पग नया सहायक आए !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 17 जनवरी 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार यशोदा जी!
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंकितने पक्ष मिलते हैं तब होता है जीवन का संयोजन!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रतिभी जी!
हटाएंक्या बात कही है ... सच में जीवन एक उपहार है और ये प्रकृति न जाने क्या क्या अंश डालती है इसमें ... तपाती है पूर्णता की और ले जाती है ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंजीवन की सुंदर उपमाएं।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव से सजी अभिव्यक्ति।
स्वागत व आभार!
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