रविवार, फ़रवरी 26

तू सबब है यहाँ

 
तू सबब है यहाँ

हर घड़ी ख़ास है 

तू मेरे पास है, 

भर रहा नित नयी 

हृदय में आस है !


तुझको देखा नहीं 

पर बता तो सही, 

प्रीत की धार यह 

बिन मिले ही बही !


तू सबब है यहाँ 

जगत सजदा करे, 

हे  माया पति 

रच दे पल में जहाँ, 


कोई जाने नहीं 

तू ही सबमें छिपा, 

खुद को पा कर बँधा 

नित छुड़ा ही रहा !


मन हुआ क़ैद हैं 

अपने ही जाल में, 

कैसे छोड़ेगा तू 

हमें निज हाल में !


इल्म देता हुआ 

सदा रस्ता दिखा, 

ले चले है हमें

 प्यारा रहबर ख़ुदा !

10 टिप्‍पणियां:

  1. तुझको देखा नहीं

    पर बता तो सही,

    प्रीत की धार यह

    बिन मिले ही बही
    वाह!!!
    अद्भुत🙏🙏🙏

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  2. आस्था और विश्वास उस के प्रति हरपल यही अहसास देता है।
    सुंदर भाव प्रवणता।

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  3. वाह!अनीता जी ,बहुत खूब ! आस्था की डोर में बंधे हम ,बिन देखे ही ,उसके होने का अहसास कर लेते हैं व

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  4. अति सुंदर भावपूर्ण सृजन।
    सादर।

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  5. आदरणीया मैम , बहुत सुंदर प्यारी सी रचना । ईश्वर इस संसार के कण- कण में और हमारे हृदय में सदैव वास करते हैं और अपनी करुणा से हम सब की रक्षा और हम सब का मार्गदर्शन करते हैं । सादर प्रणाम एवं आभार।

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  6. वाह बहुत ही खूबसूरत भावभिव्यक्ति।

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  7. जीवन संदर्भ पर गहन दृष्टि डालती सुंदर और पवन रचना।

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  8. सुधा जी, कुसुम जी, शुभा जी, श्वेता जी, ओंकार जी, अनंता जी, पल्लवी जी, जिज्ञासा जी, और ज्योति जी आप सभी का हृदय से स्वागत व आभार!!

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