मंगलवार, अगस्त 1

तुम्हारे बारे में


नाटक- तुम्हारे बारे में

लेखक व निर्देशक- मानव कौल


जीवन आने अनेक रूपों में हमारे सम्मुख आता है। हर दिन कुछ न कुछ नया अनुभव दे जाता है। प्रतिदिन समाज में कुछ न कुछ अच्छा या बुरा घट जाता है, जो अख़बार के पहले पन्ने की खबर बन जाता है। हमारी दृष्टि जहाँ जाकर ठहरती है, जीवन हमारे लिये उसके द्वार खोल देता है। एक लेखक को मिलने-जुलने वाले लोगों में कई कहानियाँ नज़र आती हैं, एक वैद्य या चिकित्सक की नज़र उनमें किसी न किसी तत्व की कमी भाँप लेती है। बच्चों को आइसक्रीम और चॉकलेट में आनंद मिल जाता है तो किसी भक्त को दूर से आती भजन की एक पंक्ति भी सुकून से भर जाती है। जब इतनी विचित्रता है यहाँ तो आश्चर्य होता है कि कैसे कुछ लोग जीवन से ऊब जाते हैं, बोर हो जाते हैं, या उदासी मिटाने के लिए नशे या ड्रग्स का सहारा लेने लगते हैं। जीवन इतना रसपूर्ण पहले से ही है और संगीत, साहित्य, नाटक तथा अन्य  विभिन्न कलाएँ इसमें चार चाँद लगा देती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार व कलाकार अपने में इतने सघन होते जाते हैं कि सारे जग का दर्द मिटाने की भावना उन्हें चैन से बैठने नहीं देती। उनका अपना स्वार्थ नहीं होता फिर भी कुछ लोग समाज के लिए दिन-रात प्रयत्न करते हैं। ऐसे ही लोगों के बल पर यह दुनिया और खूबसूरत बन जाती है। वे थके हारे लोगों के दर्द  भी महसूस करते हैं और महिलाओं की पीड़ा को भी शब्द देते हैं।


मानव कौल एक ऐसा ही नाम ही है, उनका लिखा व निर्देशित किया नाटक ‘तुम्हारे बारे में’ देखना एक सुखद अनुभव था। यह एक प्रायोगिक नाटक है, जिसमें हास्य और व्यंग्य भी है और असफल रिश्तों के पीछे छिपी हुई पीड़ा का दंश भी। छह पात्रों द्वारा अभिनीत किया यह नाटक समाज में आज के समय में स्त्री-पुरुष संबंधों में आते हुए बदलावों के बारे में बात करता है। यहाँ दिखाया गया है कि आज स्त्रियाँ रिश्तों में पहले की सी सुरक्षा व स्थिरता पाने के लिए घर में बँधना नहीं चाहतीं। वे स्वतंत्रता का अनुभव करने के लिए आकाश में उड़ना चाहती हैं; जबकि पुरुष पात्र पेंग्विन बनना चाहते हैं, अर्थात उनके पास पंख तो हों पर उनसे उड़ा न जा सके। नाटक में तीन महिला और तीन पुरुष पात्र हैं, एक जोड़ा सात वर्ष बाद मिला है और उन कारणों को ज्ञात करना चाहता है जिनकी वजह से वे अलग हुए थे। एक जोड़े की आमने-सामने यह पहली मुलाक़ात है, सोशल मीडिया पर वे मिल चुके हैं और तीसरा जोड़ा अलग होने की कगार पर आ चुका है। किसी कैफ़े में वे मिल रहे हैं और ठंडी व गरम काफ़ी को पसंद करने के प्रतीक से समय के साथ पात्रों में आये बदलावों को चिन्हित किया गया है। कैफ़े में पूरे फ़र्श पर कविताओं के पन्ने बिखरे हुए हैं, जिन्हें पढ़कर महिलाएँ उड़ने की कला सीखना चाहती हैं; शायद लेखक कहना चाहता है, बंधनों से भरे जीवन में कविता ही हमें मुक्ति का अहसास दे सकती है। बीच-बीच में टैगोर का एक मधुर गीत बजता है जो रिश्तों में आयी टूटन के इस दर्द को और गहराई देता है। एक दृश्य में दिखाया है कि मोबाइल का बढ़ता हुआ प्रयोग कैसे व्यक्ति को आत्म केंद्रित कर रहा है।कहीं न कहीं एक-दूसरे के प्रति एकनिष्ठता की कमी तथा उसके कारण पनपा अपराध बोध रिश्तों के बिखरने का मुख्य कारण है। 




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