मंगलवार, अगस्त 8

सत्य

सत्य 


सत्य को छोड़कर हम चैन से जी नहीं सकते 

असत्य कितना भी मोहक हो 

विष में बदल जायेगा 

यह जानते हुए उसे पी नहीं सकते 

हिंसा असत्य से उपजी है 

हिंसा अक्षम्य है 

जीवन की माँग है सत्य 

वह वहीं पनपता है 

जहां सामंजस्य हो विपरीत ध्रुवों  में

जहां अलगाव नहीं 

मेल की चाह हो 

जहां बेहोशी जीने का ढंग न बन जाये 

शुतुरमुर्गीय चलन 

न अपना लिया जाये 

हर संकट को देख 

जहां हर उस राह पर 

चलने की तैयारी हो 

जो शांति में नये विश्वास को जन्म दे 

जो जड़ों तक जाकर समाधान सुझाये 

क्योंकि सत्य को छोड़कर 

हम चैन से जी नहीं सकते !

6 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 अगस्त 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. जीवन की माँग है सत्य
    वह वहीं पनपता है
    जहां सामंजस्य हो विपरीत ध्रुवों में
    यही सत्य है आदरणीया दीदी। सचमुच हम सत्य को छोड़कर चैन से नहीं जी सकते।

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    1. स्वागत व आभार इस सुंदर टिप्पणी के लिए मीना जी!

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