बीत गया एक और वसंत
जाते हुए बरस का हर पल
याद दिलाता सा लगता है,
बीत गया एक और वसंत
सपना ज्यों का त्यों पलता है !
दस्तक दे नव भोर जतन हो
स्वप्न अधूरा मत रह जाये,
नये वर्ष में हर कोई मिल
जीवन का गीत गुनगुनाये !
गली का हर कोना स्वच्छ हो
गौरैया को दाना डालें,
ख्वाब अधूरा जो वर्षों का
अंजाम पर उसे पहुँचायें !
दरियाओं को और न पाटें
जहर फिजाओं में न मिलायें,
सुख की नींद मिले माँओं को
बेटियों को कभी न जलायें !
ख़ुद को पहचाने हर बच्चा
तालीम का सूरज उगायें,
दम न तोड़े भटक कर यौवन
सब अपनी भूमिका निभायें !
छंट जाएँ आतंक की धुँध
हर जुल्मो सितम से छुड़ायें,
घर से दूर हुए नौनिहाल
बिछुड़े हुओं को पुन: मिलायें !
बेघर किया जिन्हें वन काटे
स्वार्थ हेतु न उन्हें मरवायें,
छुड़ा क़ैद से मासूमों को
हक सुखद जीवन का दिलायें !
नया वर्ष दस्तक दे, उससे
पहले कुछ नव रस्म बना लें,
छूट गये जो साथी पीछे
निज संग चलने को मना लें !
जीवन के वसंत ऐसे ही बीत जाएँ ... सुख रहे तो आनंद ही आनद है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ... नव वर्ष मंगल मय हो ...
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ !
हटाएंसुन्दर | शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ !
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंगली का हर कोना स्वच्छ हो
जवाब देंहटाएंगौरैया को दाना डालें,
ख्वाब अधूरा जो वर्षों का
अंजाम पर उसे पहुँचायें !
नव वर्ष के आगाज पर सुन्दर संदेश देती रचना, आप को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं अनीता जी 🙏
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ कामिनी जी !
हटाएंनववर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ !
हटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंसमय और जीवन पर्यायवाची नहीं हैं क्या? जिसने जीवन को जाना वह समय से प्रभावित नहीं होता
जवाब देंहटाएं