राम
एक शब्द नहीं है राम
न ही कोई विचार
बाल्मीकि के मन का
भाव जगत की वस्तु भी
नहीं है तुलसी के
परे है हर शब्द, भाव व विचार से
एक अमूर्त, निराकार
जिसने भर दिया है
उत्साह और उमंग
शांति और आनंद
ख़ुशी कोई विचार तो नहीं
एक अहसास है
वैसे ही राम उनके हैं
जो महसूस करते उन्हें
अपने आसपास हैं
हर घड़ी हर मुहूर्त से परे
वे सदा थे सदा हैं
वे प्रतिष्ठित हैं
हमें इसका अहसास करना है
राममंदिर में विराजित
राम लला की मूरत में
ह्रदय के
विश्वास और श्रद्धा का
रंग भरना है !
सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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