बुधवार, जून 26

प्रेम

प्रेम 


 

बाँटने से बढ़ता है प्रेम

 भीतर भरा है प्रेम का जो स्रोत

उसे लुटाने का 

अवसर ही जीवन है 

बन जाता तब तुम्हारा मन

ईश्वर का आँगन है 

वही बहता है शिराओं में रक्त बनकर 

वही श्वास के साथ फेरा लगाता है 

उसकी याद में बहाया एक-एक अश्रु 

महासागरों की गहराई भर जाता है 

प्रेम कोई शब्द नहीं 

न ही भाव या भावना कोरी 

नहीं कृत्य या चाहत कोई 

यह तुम हो 

तुम्हारे होने का प्रमाण है 

यही तो धरा को धारने वाला आसमान है 

प्रेम श्रद्धा और विश्वास है 

किसी को कुछ देने की आस है 

हज़ार ख़ुशियों के फूल उगाने वाली बेल है 

प्रेम बना देता हर आपद को खेल है 

इसकी एक किरण भी उतर जाये मन में 

बिखेर देना किसी महादानी की तरह 

प्रेम में होना ही तो होना है 

यही बीज दिन-रात मनु को बोना है ! 


16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 27 जून 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. वाह प्रेम की महत्ता को रेखांकित करती सुंदर सार्थक रचना

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  3. प्रेम तुम्हारे होने का प्रमाण है !
    सुंदर सटीक व्याख्या प्रेम की !

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