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मंगलवार, जुलाई 27

अस्तित्त्व

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अस्तित्त्व  जब अंतर झुका हो  तब अस्तित्त्व बरस ही जाता है  कुछ नहीं चाहिए जब  तब सब कुछ अपनत्व की  डोर से बंध जाता है  कदमों को धरा का परस म...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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