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सोमवार, जुलाई 19

लुटाता सुवास रंग

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लुटाता सुवास रंग  तृप्ति की शाल ओढ़े  खिलता है हरसिंगार,  पाया जो जीवन से  बाँट देता निर्विकार ! कंपित ना हुआ गात  घाम, मेह, शीत आए,  तपा, भ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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