लुटाता सुवास रंग
तृप्ति की शाल ओढ़े
खिलता है हरसिंगार,
पाया जो जीवन से
बाँट देता निर्विकार !
खिलता है हरसिंगार,
पाया जो जीवन से
बाँट देता निर्विकार !
कंपित ना हुआ गात
घाम, मेह, शीत आए,
तपा, भीगा, झूमता
फूलों में मुस्कुराए !
घाम, मेह, शीत आए,
तपा, भीगा, झूमता
फूलों में मुस्कुराए !
जीवित है काफ़ी है
नहीं कोई माँग और,
लुटाता सुवास रंग
रात खिलता झरे भोर !
नहीं कोई माँग और,
लुटाता सुवास रंग
रात खिलता झरे भोर !
एक उसी जगह खड़ा
राही थम जाते सभी,
देखते निगाहें भर
सुवास मधुर जाएँ पी !
राही थम जाते सभी,
देखते निगाहें भर
सुवास मधुर जाएँ पी !
जीवन भी ऐसा ही
है भीतर समान सदा,
देता रहे अनगिनत
अहर्निश वरदान प्रदा !
है भीतर समान सदा,
देता रहे अनगिनत
अहर्निश वरदान प्रदा !