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शुक्रवार, सितंबर 27

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हम पिछली सदी के उत्तरार्ध में आते-आते हम आजाद हो गये थे खुशहाली का सपना सच होने को था  “धरा अपनी गगन अपना जन्नत सा लगे...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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