मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

दीर्घ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
दीर्घ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, अप्रैल 19

श्वास-श्वास में सिमरन हो जब

›
श्वास-श्वास में सिमरन हो जब श्वासों में मत भरें सिसकियाँ  हैं सीमित उपहार किसी का,  दीर्घ, अकंपित अविरत  गति हो  इनमें कोई राज है छुपा ! श्व...
6 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.