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बुधवार, अप्रैल 19
श्वास-श्वास में सिमरन हो जब
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श्वास-श्वास में सिमरन हो जब श्वासों में मत भरें सिसकियाँ हैं सीमित उपहार किसी का, दीर्घ, अकंपित अविरत गति हो इनमें कोई राज है छुपा ! श्व...
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