मन पाए विश्राम जहाँ

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रविवार, अगस्त 27

किसका रस्ता अब जोहे मन

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किसका रस्ता अब जोहे मन तू गाता है स्वर भी तेरे लिखवाता नित गान अनूठे , तू ही गति है जड़ काया में सहज प्रेरणा, उर में पैठे ! ...
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शनिवार, अगस्त 2

हर लेता हर कंटक पथ का

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हर लेता हर कंटक पथ का तू गाता है स्वर भी तेरे लिखवाता नित गान अनूठे, तू ही गति है जड़ काया में  बन प्रेरणा उर में पैठे ! ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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