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सोमवार, मार्च 11

महाकुम्भ के समापन पर

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महाकुम्भ के समापन पर कल-कल छल-छल बहती गंगा यमुना जिसमें आ कर मिलती, यही त्रिवेणी है प्रयाग की छुपी है जिसमें सरस्वती ! ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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