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सोमवार, जुलाई 11
एक कंकर चाहतों का
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एक कंकर चाहतों का टुकड़ा-टुकड़ा जोड़ा मन बुत इक अद्भुत बना लिया, कभी सोया जागा कभी कुछ स्वप्नों से सजा लिया ! दर्पण झील हुआ जब थिर था ...
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