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शनिवार, फ़रवरी 25

चार कदम पर ही है होली

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चार कदम पर ही है होली मधु टपके बौराया उपवन जाने कहाँ से रस  भरता है, गदरायीं मंजरियाँ महकें  संग समीरण के बहता है ! हुई ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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