मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
श्वासें
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श्वासें
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शनिवार, अक्टूबर 1
आतुर है सूरज उगने को
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आतुर है सूरज उगने को श्वासें महकें अंतर चहके पल पल नव गीत बजें भीतर, जीवन जो भी भेंट दे रहा स्वीकारें उत्साहित होकर ! कभी-कभी ढक गया उजाल...
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रविवार, अप्रैल 18
श्वासें
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श्वासें गा रही हैं नाम जिसे हम सुन नहीं पाते या कर देते हैं सुनकर भी अनसुना श्वासें कीमती हैं कितनी यह बात सिखा रहा है एक वायरस आज चे...
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