मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

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सोमवार, जनवरी 8

बूँद एक घर से निकली थी

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बूँद एक घर से निकली थी  अंधकार में ठोकर खाते  आँखें बंद किए चलते हैं,  जाने कौन  मोह में फँस कर  अक्सर ख़ुद को ही छलते हैं ! छोटी-छोटी इच्छा...
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सोमवार, नवंबर 22

खिला-खिला मन उपवन होगा

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खिला-खिला मन उपवन होगा  एक अनेक हुए दिखते हैं  ज्यों सपने की कोई नगरी,  मन ही नद, पर्वत बन जाता  एक चेतना घट-घट बिखरी ! कैसे स्वप्न रात्रि म...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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