मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

गुरुवार, मार्च 1

अपनी अपनी जेल

›
अपनी अपनी जेल कोई जेलर बनता है अपनी इच्छा से जेल में वह भी आता है और कैदी को लाया जाता है उसकी इच्छा के विरुद्ध ऐसा लगता है ऊपर-ऊपर से, प...
11 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, फ़रवरी 28

कब आँखें उस ओर मुड़ेगीं

›
कब आँखें उस ओर मुड़ेगीं पानी मथता है संसार बाहर ढूँढ रहा है प्यार, फूल ढूँढने निकला खुशबू मानव ढूँढे जग में सार ! राजा भी यहाँ लगे भिखारी...
6 टिप्‍पणियां:
रविवार, फ़रवरी 26

देने वाला देता हर पल

›
देने वाला देता हर पल मौन में ही संवाद घट रहा दोनों ओर से प्रेम बंट रहा, एक नशीली भाव दशा है ज्यों चन्द्र से मेघ छंट रहा ! एक अचलता पर्वत ...
9 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, फ़रवरी 24

देखो कोई ताक रहा है

›
देखो  ! कोई ताक रहा है सम्मुख आने से घबराए आहट भर से झट छुप जाए, उर के भीतर से ही देखे चुपके-चुपके झांक रहा है ! देखो  ! कोई ताक रहा है पर...
14 टिप्‍पणियां:
बुधवार, फ़रवरी 22

ठहर गया उर ज्यों आकाश

›
ठहर गया उर ज्यों आकाश विरस हुआ जग से जब कोई स्वरस में डूबा उतराया, धीरे-धीरे उससे उबरा रस कोई भी बांध न पाया !  जग से लौटा ठहरा खुद में ...
9 टिप्‍पणियां:
सोमवार, फ़रवरी 20

शिवरात्रि के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें

›
शिवरात्रि पर एक झलक जो तेरी पाए तेरा दीवाना हो जाये, गा-गा कर फिर महिमा तेरी मस्त हुआ सा दिल बहलाए ! तू कैसी सरगोशी करता जो जैसा, तुझे वै...
11 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, फ़रवरी 17

उसने कहा था

›
उसने कहा था सारी कायनात भी छोटी पड़ती है प्रेम लुटाने के लिये मुझे और झगड़ने के लिये भी तुम्हें मेरी जरूरत पड़ती है.... मैं तुम्हें प्रे...
14 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, फ़रवरी 7

आया वसंत झूम के

›
आया वसंत झूम के धूप ने पिया जब फूलों का अर्क भर गयी ऊर्जा उसके तन-बदन में.... कल तक नजर आती थी जो कृश और कुम्हलाई आज कैसी खिल गयी है... वस...
14 टिप्‍पणियां:
रविवार, फ़रवरी 5

ऊपर हँसते भीतर गम था

›
ऊपर हँसते भीतर गम था जाने कैसी तंद्रा थी वह कितनी गहरी निद्रा थी वह, घोर तमस था मन पर छाया ढके हुए थी सब कुछ माया ! एक विचारों का जंगल थ...
9 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, फ़रवरी 3

भीतर जल ताजा है

›
भीतर जल ताजा है माना कि जिंदगी संघर्ष है कई खतरनाक मोड़ अचानक आते हैं कभी इसको तो कभी उसको हम मनाते हैं भीतर कहीं गहराई में जिंदगी बहती ...
16 टिप्‍पणियां:
बुधवार, फ़रवरी 1

उड़ान भरता है प्रेम

›
उड़ान भरता है प्रेम जैसे चन्द्रमा की ललक, उछाल देती है सागर को ज्वार चढ़ता है जल तरंगों में और स्वतः ही लौट आता है अधूरे मिलन की कसक लिये.....
13 टिप्‍पणियां:
सोमवार, जनवरी 30

बेगानी है हरी दूब भी

›
बेगानी है हरी दूब भी मरुथल बियाबान के वासी फूलों से रहते अनजाने, बूंद-बूंद को जो तरसे हैं नदियों से रहते बेगाने ! स्वप्न सरीखे उनको लगते ...
5 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.