मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

बुधवार, मई 27

कुछ भूली-बिसरी यादें

›
कुछ भूली-बिसरी यादें लंबा, छरहरा कद, गेहुँआ रंग, फुर्तीला तन और आवाज में युवाओं का सा जोश. ऐसे हैं माथुर अंकल ! जब भी आंटी के साथ ...
शनिवार, मई 23

वाराणसी – एक अंतहीन उत्सव

›
वाराणसी – एक अंतहीन उत्सव हम अर्धरात्रि दो बजे वाराणसी रेलवे स्टेशन पर उतरे. मुख्यद्वार से सटा हॉल खचाखच भरा था, पुल पर भी बोरिया-बि...
3 टिप्‍पणियां:
बुधवार, मई 20

गाँठ सभी खोल लो

›
गाँठ सभी खोल लो     एक वर्ष और बीता गठरी न बांधो और जाने कब चलना हो अंतिम हो कौन भोर ? हल्का ही मन रहे सफर जाने क...
5 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, मई 19

नींदें हैं सदियों की

›
नींदें हैं सदियों की छोटे से जीवन में भरना है आकाश, नन्ही सी बगिया में पलना है पलाश ! कुछ ही तो पल होंगे जीवन मुस्का...
5 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, मई 14

मृत्यु और जीवन

›
मृत्यु और जीवन मौत एक पल में छीन लेती है कितना कुछ माथे का सिंदूर हाथों की चूड़ियाँ मन का चैन और अधरों की हँसी पत्नी होने का स...
3 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, मई 12

गुरूजी के जन्मदिन पर

›
गुरूजी के जन्मदिन पर मुक्तिबोध कराते पल में करुणा सागर ज्ञान का दरिया, ऐसे थामे रखते पल-पल   प्रेम लुटाते ज्यों सांवरिया ! ...
5 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, मई 5

छा गयी जब बदलियाँ

›
छा गयी जब बदलियाँ हवा की सरगोशियाँ पर झुलाती तितलियाँ, डोलते से शाख-पत्ते झूमती सी कहकशां ! एक चादर सी बिछी हो या धरा प...
5 टिप्‍पणियां:
शुक्रवार, मई 1

मजदूर दिवस

›
मजदूर दिवस घर के बाहर माली दिखा बगीचे की घास संवारता सुबह-सवेरे ही याद आया आज मजदूर दिवस है और इसे पता तक नहीं.. कुछ ही देर मे...
4 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, अप्रैल 30

मौसम

›
मौसम आते हैं जाते हैं वृक्ष पुनः पुनः बदला करते हैं रूप हवा कभी बर्फीली हो चुभती है कभी तपाती आग बरसाती सी.. शुष्क है धरा......
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.