मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

शनिवार, जून 26

वह

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वह  मौन को कैसे लिखें अब  भाव भी तो सारे अमूर्त ही हैं    वह अलख अपनी उपस्थिति   हर पल  दर्ज कराता है  सदा साथ है, यह अहसास ही दिल को  अपरिम...
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बुधवार, जून 23

कुसुमित हुआ हो जैसे बीज

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कुसुमित हुआ हो जैसे बीज एक ऊर्जा है अनाम जो खींच रही सदा अपनी ओर, पता ठिकाना कौन जानता   जिगर दीवाना जिसका मोर ! प्रेम उमगता भीतर आता कहाँ स...
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सोमवार, जून 21

धरती, सागर, नीलगगन में

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धरती, सागर, नीलगगन में  सत्यम,  शिवम, सुंदरम तीनों  झलक रहे यदि अंतर्मन में,  बाहर वही नजर आएँगे  धरती, सागर, नीलगगन में ! सत्यनिष्ठ उर तीव्...
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शुक्रवार, जून 18

प्रकृति के कुछ रंग

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प्रकृति के कुछ रंग अपने–अपने घरों में कैद खुद से बतियाते अपने इर्दगिर्द ब्रह्मांड रचने वाले लोग क्या जानें कि नदी क्यों बहती है दूर बीहड़ रास...
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बुधवार, जून 16

लीला जगत की

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लीला जगत की  अंतर की हर दुविधा को  जगत ने आधार दिए  सही सिद्ध करने हर पीड़ा, हर बेचैनी को  एक नहीं कारण हजार दिए  फूल झरा असमय जब  अश्रु नयनो...
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सोमवार, जून 14

पूर्ण गगन प्रतिबिम्बित जिसमें

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पूर्ण गगन प्रतिबिम्बित जिसमें  ठहर गया प्रमुदित मन-अंतर नयन मुंदे, अधर मुस्काते, परम बुद्ध  की शुभ मूरत पर  लोग युगों से वारी जाते ! मोहक मु...
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रविवार, जून 13

मंजिल या मंझधार

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मंजिल या मझधार  हम पहुँच ही जाते हैं किनारे पर  कि कोई लहर बहा ले जाती है  संग अपने  और डूबने लगते हैं फिर मझधार में  न जाने कितनी बार  यह इ...
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बुधवार, जून 9

नूतन तरु के गात हो रहे

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  नूतन तरु के गात हो रहे  निर्मल गंगाजल से बहते   तुम ही श्यामल घन बन बरसे,  चिन्मय ! चेतनता बन रहते  है कण-कण में गति भी तुमसे ! खो, पुनः...
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अनादि -अनंत

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अनादि -अनंत  चाहे कितना भी हो विघटन  समाज बंटे, टूटे परिवार व्यक्ति रह जाए अकेला  पर सदा साथ रहती है उसके  एक अखंड आत्मा ! चाहे व्यक्तित्व ब...
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सोमवार, जून 7

भाव-अभाव

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भाव-अभाव अभाव का काँटा जब तक चुभता रहेगा उर में  भाव की धारा क्यों कर बहेगी  जो ‘नहीं’ है ‘नहीं’ हो रहा है  उस पर ही नज़र टिकी रही तो  भय की...
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शनिवार, जून 5

अम्बर नीला का नीला है

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अम्बर नीला का नीला है  माना दुःख भारी है जग में  उर आनंद अनंत छुपा है,  कितने भी तूफां उठते हों  अंतर हर तूफ़ां से बड़ा है ! मृत्यु हजारों रूप...
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गुरुवार, जून 3

बिन मांगे, बिना किये मिला

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  बिन मांगे, बिना किये मिला  धरा मिली आकाश भी मिला   जन्म-मृत्यु वरदान में मिला,  माता-पिता का दुलार मिला  सब कुछ तो हमको यहीं मिला ! शिक्षा...
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मंगलवार, जून 1

ऐसे ही घट-घट में नटवर

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ऐसे ही घट-घट में नटवर अग्नि काष्ठ में, नीर अनिल में  प्रस्तर में मूरत इक सुंदर,  सुरभि पुष्प में रंग गगन में  ऐसे ही घट-घट में नटवर ! नर्तन ...
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सोमवार, मई 31

प्रीत बिना यह जग सूना है

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प्रीत बिना यह जग सूना  है   प्रीत जगे जिस घट अंतर में  वही कुसुम सा विहँसे खिल के,  यह वरदान उसी से मिलता  जो माधव मधुर सलोना है ! प्रीत घटे...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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