मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
गुरुवार, नवंबर 30
गुलमर्ग की यादें -१
›
चिनार की छाँव में गुलमर्ग की यादें -१ आज हम गुलमर्ग आ गये हैं। इतिहास के पन्नों में झांका तो पता चला, श्रीनगर से तकरीबन 55 किलोमीटर की दूर...
12 टिप्पणियां:
बुधवार, नवंबर 29
पथ दिखाता चाँद नभ में
›
पथ दिखाता चाँद नभ में एक ज़रिया है कलम यह हाथ भी थामे इसे जो, कौन जो लिखवा रहा है लिख रहा जो कौन है वो ! भाव बनकर जो उमड़ता बादलों सा कभ...
6 टिप्पणियां:
सोमवार, नवंबर 27
बेताब वैली में एक दोपहर
›
चिनार की छाँव में -भाग चार बेताब वैली में एक दोपहर पहलगाम में आज हमारा दूसरा दिन है। इंटरनेट पर इसके इतिहास के बारे में कुछ रोचक जानकारी मिल...
6 टिप्पणियां:
शुक्रवार, नवंबर 24
स्वप्न और जागरण
›
स्वप्न और जागरण जाग गया जो वह देख सकता है जूझ रहा है कैसे सोया हुआ व्यक्ति दु:स्वप्नों से ! सुख की चाह की ख़ातिर दुख देता है औरों को ...
12 टिप्पणियां:
बुधवार, नवंबर 15
चिनार की छाँव में - तृतीय भाग
›
चिनार की छाँव में - तृतीय भाग पहलगाम की सैर दोपहर के भोजन का समय हो चला था, अत: मार्ग में पड़ने वाले एक ढाबे में रुके, जहाँ स्वादिष्ट शाकाह...
2 टिप्पणियां:
मंगलवार, नवंबर 14
जलें दीप जगमग हर मग हो
›
जलें दीप जगमग हर मग हो पूर्ण हुआ वनवास राम का, सँग सीता के लौट रहे हैं अचरज देख हुआ लक्ष्मण को, द्वार अवध के नहीं खुले हैं ! अब क्योंकर उत्...
9 टिप्पणियां:
शुक्रवार, नवंबर 10
चिनार की छाँव में
›
यात्रा विवरण - द्वितीय भाग चिनार की छाँव में सुबह साढ़े आठ बजे हाउसबोट से उस शिकारे पर सारा सामान रखवाया गया, जो हमें घाट संख्या नौ पर ले ज...
3 टिप्पणियां:
मंगलवार, नवंबर 7
चिनार की छाँव में
›
यात्रा विवरण - प्रथम भाग चिनार की छाँव में एक बार कश्मीर जाने का ख़्वाब मन में न जाने कब से पल रहा था, पर पिछले कुछ दशकों में वहाँ के हालात...
8 टिप्पणियां:
सोमवार, नवंबर 6
दिवाली आयी लिए ख़ुशियाँ
›
दीपावली और भाईदूज पर हार्दिक शुभकामनायें घर-बाहर निर्मल प्रकाश मय दिप-दिप दीप जलें हर आँगन, स्वच्छ चमकता हो हर कोना भर जायें ख़ुशियाँ ...
मंगलवार, अक्टूबर 24
विजयादशमी
›
विजयादशमी माँ को पूज कर राम ने पाया विजय का वरदान, किया विनाश दशानन का मिला दुनिया में सम्मान ! राम तभी अवतार बने जिस पल निज शीश झुकाया,...
8 टिप्पणियां:
सोमवार, अक्टूबर 23
शिकायत ख़ुद से भी अनजान हुई
›
शिकायत ख़ुद से भी अनजान हुई खुद से खुद की जब पहचान हुई ज़िंदगी फ़ज़्र की ज्यों अजान हुई जिन्हें गुरेज था चंद मुलाक़ातों से गहरी हरेक स...
10 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें