वह
जैसे माँ करती है स्वच्छ
दुधमुहें बच्चे के मैले वस्त्र
स्नेह भरे अंतर में..
वह करता है दूर हमारे मन से
मैल की परत दर परत..
जब ईश्वर निर्विकार तकता रहता है भीतर
वह लेता है जिम्मा गर्द हटाने का
जो हमारे भीतर है
वह जानता है मन की गहराई में छिपे
संशयों के सर्पों को
वह जानता है अचेतन की गुफाओं में
हैं कुछ दंश देने वाले जीव
बल देता है शिष्य को
कि वह झाड़ बुहार सके हर इक कोना
जैसे माँ स्वीकारती है बच्चे का हर दुर्गुण
उसी प्रेम से वह भी स्वीकारता है
मन के दाँव-पेंच
मन की सिलवटें
शर्त यही है जैसे माँ पर भरोसा करता है बच्चा
आँख मूंद कर
भरोसा जगे भीतर, वह साथ है हमारे....
और तब झरता है भीतर झरना
प्रेम, शांति और आनंद का..
भीग जाता है कण कण
और बहती है सुरभित हवा इर्द-गिर्द
करती सुवासित वातावरण को
जुड़ जाता है एक रिश्ता
इस जगत से और जगदीश से भी..
और तब झरता है भीतर झरना
प्रेम, शांति और आनंद का..
भीग जाता है कण कण
और बहती है सुरभित हवा इर्द-गिर्द
करती सुवासित वातावरण को
जुड़ जाता है एक रिश्ता
इस जगत से और जगदीश से भी..
भरोसा जगे भीतर, वह साथ है हमारे....
जवाब देंहटाएंऔर तब झरता है भीतर झरना
प्रेम, शांति और आनंद का..
भीग जाता है कण कण ........सच है ईश्वर हमारी हर धड़कन में है...सुन्दर भाव..
्कितना सुन्दर और सटीक विश्लेषण किया है ………आभार
जवाब देंहटाएंशर्त यही है जैसे माँ पर भरोसा करता है बच्चा
जवाब देंहटाएंआँख मूंद कर
भरोसा जगे भीतर, वह साथ है हमारे....
और तब झरता है भीतर झरना
प्रेम, शांति और आनंद का..
भीग जाता है कण कण
बस उस पर भरोसा होना चाहिए .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
Maheshwari kaneri ने आपकी पोस्ट " वह " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंभरोसा जगे भीतर, वह साथ है हमारे....
और तब झरता है भीतर झरना
प्रेम, शांति और आनंद का..
भीग जाता है कण कण ........सच है ईश्वर हमारी हर धड़कन में है...सुन्दर भाव..
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Maheshwari kaneri द्वारा मन पाए विश्राम जहाँ के लिए 3 मई 2012 10:41 am को पोस्ट किया गया
बहुत सुन्दर......भरोसा बहुत बड़ी चीज़ है ।
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