शनिवार, मई 12

सदगुरु के जन्मदिन पर


सदगुरु के जन्मदिन पर

पुलक भरी रेशे-रेशे में
रस में डूबा कण-कण मन का,
हल्का-हल्का सा हो आया
पल-पल छिन-छिन इस जीवन का !

एक मदिर कविता सी बहती
श्वासों की यह धारा अविरत,
एक मधुर रुनझुन सा बजता  
भावों का फौवारा अविरत !  

ठहर गया है काल यात्री
क्षण भर में अनंत समाया,
सँवर गया है मन दर्पण में
रूप अनोखा उसको भाया !

तेरा ही प्रसाद है अनुपम
तेरी दया का आंचल है यह,
बरस रहा है अहर्निश जो
तेरी कृपा का बादल है यह !

रेशम से दिन पहर हुए हैं
मखमल चाँद सी रातें मधुरिम,
एक मौन ऐसा पाया है
एक रौशनी मद्धिम-मद्धिम !

जन्मदिवस पर तेरे गाते
उस अनंत तक हम हो आते,
जिसमें तू रहता है पलपल
उस सागर को हम छू आते !

अनिता निहालानी
१३ मई २०१२

5 टिप्‍पणियां:

  1. ओह भाव विभोर कर रही है रचना आपकी ......!!
    कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं ...१३ मई को मैंने भी अपनी आँखें खोली थीं ....!!
    गुरुदेव के जन्मदिन की आपको बधाई ...!!

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  2. बहुत भक्तिमय प्रस्तुति...सद्गुरु को नमन

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  3. श्री श्री जी की कृपा बनी रहे....

    सुंदर कविता....

    सादर.
    अनु

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  4. सुंदर कविता....

    महतारी दिवस की बधाई

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  5. जन्मदिवस पर तेरे गाते
    उस अनंत तक हम हो आते,
    जिसमें तू रहता है पलपल
    उस सागर को हम छू आते !

    श्री श्री जी के जन्म दिवस सुंदर कविता से उन्हें बधाइयाँ दी आपने. उन्हें शत शत नमन.

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