सदगुरु के जन्मदिन पर
पुलक भरी रेशे-रेशे में
रस में डूबा कण-कण मन का,
हल्का-हल्का सा हो आया
पल-पल छिन-छिन इस जीवन का !
एक मदिर कविता सी बहती
श्वासों की यह धारा अविरत,
एक मधुर रुनझुन सा बजता
भावों का फौवारा अविरत !
ठहर गया है काल यात्री
क्षण भर में अनंत समाया,
सँवर गया है मन दर्पण में
रूप अनोखा उसको भाया !
तेरा ही प्रसाद है अनुपम
तेरी दया का आंचल है यह,
बरस रहा है अहर्निश जो
तेरी कृपा का बादल है यह !
रेशम से दिन पहर हुए हैं
मखमल चाँद सी रातें मधुरिम,
एक मौन ऐसा पाया है
एक रौशनी मद्धिम-मद्धिम !
जन्मदिवस पर तेरे गाते
उस अनंत तक हम हो आते,
जिसमें तू रहता है पलपल
उस सागर को हम छू आते !
अनिता निहालानी
१३ मई २०१२
ओह भाव विभोर कर रही है रचना आपकी ......!!
जवाब देंहटाएंकितनी खुशकिस्मत हूँ मैं ...१३ मई को मैंने भी अपनी आँखें खोली थीं ....!!
गुरुदेव के जन्मदिन की आपको बधाई ...!!
बहुत भक्तिमय प्रस्तुति...सद्गुरु को नमन
जवाब देंहटाएंश्री श्री जी की कृपा बनी रहे....
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता....
सादर.
अनु
सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंमहतारी दिवस की बधाई
जन्मदिवस पर तेरे गाते
जवाब देंहटाएंउस अनंत तक हम हो आते,
जिसमें तू रहता है पलपल
उस सागर को हम छू आते !
श्री श्री जी के जन्म दिवस सुंदर कविता से उन्हें बधाइयाँ दी आपने. उन्हें शत शत नमन.