प्रिय ब्लोगर साथियों
पिछले माह के अंतिम
सप्ताह में मुझे गोवा जाने का सुअवसर मिला, डायरी लिखने की आदत के चलते उस यात्रा
के अनुभव मैंने शब्दों और चित्रों में बटोर लिए, अब आपसे उन्हें साझा करने आयी
हूँ. आशा है आप भी इसे पढकर भारत के इस सुंदर प्रदेश के बारे में कुछ जानकारी
प्राप्त कर सकेंगे और हो सकता है यह विवरण आपकी अगली यात्रा के लिए प्रेरक भी
सिद्ध हो. तो प्रस्तुत है डायरी की तीसरी प्रविष्टि -
ग्रैंड हयात में कलात्मक कृति |
अगले दिन भी हम सुबह प्रातः भ्रमण को गए. आज समुद्र तट की ओर न जाकर धान के खेतों
की ओर. रास्ते में कितने ही होटल व रिसॉर्ट दिखते हैं, ‘यहाँ बाइक किराये पर मिलती
है’ के साइन बोर्ड भी. फूलों के कितने ही वृक्षों को निहारते हम लौटे. प्राणायाम
किया, हार्लिक्स पिया और तैयार हुए. नाश्ते के बाद हमें निकलना था. साढ़े नौ बजे हम
ग्रैंड हयात कांफ्रेंस स्थल पर पहुंच गए. हॉल ए में भाषण सुनने गए. ‘कोरोजन
एंड पनिशमेंट’ पर नेस के अध्यक्ष केविन के विचार सुने, ग्यारह बजे हम हॉल डी
में पहुंचे जहां पतिदेव का पेपर था. अच्छा रहा, काफी लोगों से बात हुई. पौने दो
बजे हम वहाँ से निकट ही आइनोक्स में ‘बरफी’ देखने गए, जिसकी बड़ी तारीफ सुनी
थी, सचमुच फिल्म काबिले तारीफ़ है. यहाँ से पुनः हयात जाकर प्रदर्शनी देखी. बड़े-बड़े
पोस्टरों के द्वारा कई कम्पनियों ने अपने उत्पाद दिखाए थे. कोरोजन के कारण तेल
कम्पनियों व रिफाइनरियों को हर वर्ष लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है, पेंट उद्योग
के लोग भी वहाँ आए थे. इतना कुछ देख सुन कर कुछ पंक्तियाँ कलम से उतर गयीं.
‘’कोरोजन यानि ‘जंग’
जब धातु नहीं जीत
पाती
वातावरण के खिलाफ
जंग
तो उसमें लग जाता है
जंग...
गिर जाती हैं इमारतें
पुल टूट जाते हैं..
खा जाता दीमक की तरह
रह जाता मानव दंग
अद्भुत है जंग का
दर्शन
लग जाती है कैसे आग
जंग खायी गैस पाइपों
में
सुना इसका लोमहर्षक
वर्णन.. ‘’
दौना पौला स्मारक |
मीरामार में सूर्यास्त |
ईसा पूर्व तीसरी शती में यह मौर्य शासन का अंग था. जिसके बाद सातवाहन,
राष्ट्रकूट, तथा कादम्बस वंश के शासन में रहा. चौदहवीं शताब्दी में यहाँ दिल्ली के
सुल्तान का शासन था. किन्तु कुछ ही वर्षों में हिंदू राजा हरिहर से होता हुआ जब
गोवा बीजापुर के आदिलशाह के पास गया, पुर्तगाली ओल्ड गोवा में अपना अधिकार कर चुके
थे. इस तरह यहाँ हिंदू राजाओं का शासन रहा, मुस्लिम सुल्तानों का और पुर्तगालियों
का भी, सभी का प्रभाव यहाँ की मिली-जुली संस्कृति पर पड़ा है. प्राचीन काल में कोंकण
काशी के नाम से भी जाना जाने वाला गोवा भारत का एक अति समृद्ध व खुशहाल राज्य
है. वास्को इसका सबसे बड़ा शहर है, मार्गाओ में पुर्तगाली सभ्यता के
चिह्न स्पष्ट दिखायी पड़ते हैं. गोवा के इतिहास के बारे में पढ़-सुन कर उसी के बारे में सोचते हम निद्रामग्न हो गए.
बहुत ही सुन्दर है यात्रा वृतांत बहुत अच्छी जानकारी मिली है .....जंग पर भी कविता कह दी आपने :-)
जवाब देंहटाएंbadhiy yatra . good pics
जवाब देंहटाएंजंग की जंग अच्छी लगी ... रोचक वर्णन .... गोवा की पुरानी यादें ताज़ा हो गईं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर वर्णन...
जवाब देंहटाएंकविता ने मन मोह लिया....
ज़ंग पर कविता ..वाह...
सादर
अनु
शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबढ़िया सैर...........
behtreen post....
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा वृतांत... तस्वीरें और कविता बहुत लगी ....आभार
जवाब देंहटाएंइमरान, मनु जी, रविकर जी, ललित जी, सुषमा जी, संध्या जी व अनु जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर यात्रा वृत्तान्त. तस्वीरें भी बहुत सुंदर हैं.
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