यूँ तो इस जहान में हजार
फर्ज हैं
दिल दीवाना एक ही धुन गुन
रहा कब से
होंगे हजारों मंजर नजरें
जिसे ढूँढे
दिल के मकां में छुप गया खामोश
वह जब से
नाता उसी की खातिर दुनिया
से निभाया
दिल को जंचा है दिलनशीं वह
हसीं अब से
थमती नहीं निगाहें लगता
नहीं ये दिल
जहनेजिगर में सूरतेजां बस
गयी तब से
दिल के मकां में छुप गया खामोश वह जब से...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है अनीता जी. शायद ऐसा ही होता होगा.
स्वागत व आभार रचना जी..शायद क्यों..ऐसा ही तो होता है
जवाब देंहटाएंख़ुशी की वजह भी तो वही है
जवाब देंहटाएंऔर होने न होने की भी।
बहुत सुंदर रचना।
बहुत सुंदर यादों के साथ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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