कोरोना ने दी दस्तक
हर दर्द कुछ सिखाता है
सोते को जगाता है,
अंतहीन मांगों पर
अंकुश भी लगाता है !
कोरोना ने दी दस्तक
घूँट कड़वे पिलाता है,
अति सूक्ष्म दुश्मन यह
नजर नहीं आता है !
कोशिकाओं में जाकर
निज व्यूह रचाता है,
फेफड़ों को दुर्बल कर
रोगी को सताता है !
प्रकृति की सीख नई
मन सीख कहाँ पाता है,
गर्वीला, भोला भी ?
दुःख ही बनाता है !
खुद से जो दूर हुआ
कहाँ यह निकल गया,
भीतर ही चैन है
भेद यह भुलाता है !
दौड़ अब यह शांत हो
थमो, नहीं क्लांत हो,
घर लौट चलो अब तो
यह राज भी बताता है!
साँझी है पीड़ा अब
संवेदना जगाता है,
दुनिया को सही माने
एक घर बनाता है !
दुःख की घड़ी भी सबको एक कराना सिखाती है
जवाब देंहटाएंबहुत सही
सही कहा है आपने, स्वागत व आभार !
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (18-03-2020) को "ऐ कोरोना वाले वायरस" (चर्चा अंक 3644) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !
हटाएंसांझी पीड़ा साझे खाते को एक बना देती है
जवाब देंहटाएंसीखना नहीं चाहते तो भी प्रकृति सीखा ही देती है।
बहुत खूब। अच्छी और प्यारी सोच।
नई रचना- सर्वोपरि?
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 18 मार्च 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार !
हटाएंसोशल मीडिया की जो कमी रह गई थी इस कोरोना ने पूरा कर दिया
जवाब देंहटाएंग्लोब में देखा करते थे सीमांत को एक गाँव का हिस्सा बना गया
सुंदर लेखन
स्वागत व आभार विभा जी !
हटाएंसाँझी है पीड़ा अब
जवाब देंहटाएंसंवेदना जगाता है,
दुनिया को सही माने
एक घर बनाता है
बहुत ही सुंदर संदेश देती सृजन अनीता जी ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंसाँझी है पीड़ा अब
संवेदना जगाता है,
दुनिया को सही माने
एक घर बनाता है !
समसामयिक सुन्दर रचना ।शुभकामनाएँ
वाह!सुंदर संदेश देती हुई रचना ।
जवाब देंहटाएंइस समय सब का साझा प्रयास बहुत ज़रूरी है ... सभी को अपना अपना अंश देना होगा ...
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