मन पाए विश्राम जहाँ
नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
जाह्नवी
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
जाह्नवी
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, अगस्त 2
सदियों से थिर थे जो पर्वत
›
सदियों से थिर थे जो पर्वत उतरी है गोमुख से गंगा गंगोत्री में तनिक ठहरती, हिम शिखरों से ले शीतल जल चट्टानों में मार्ग बनाती ! ...
24 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें