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रविवार, अगस्त 11

गगन अपना लगेगा जगेंगी पाँखें

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गगन अपना लगेगा जगेंगी पाँखें अभावों का भाव नजर आता है भावों का अभाव खले जाता है, ‘नहीं है’ जो, टिकी उस पर दृष्टि   जो ‘है’,...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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