मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

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गुरुवार, जुलाई 28

जाग कर देखें जरा

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जाग कर देखें जरा  कैद पाखी क्यों रहे  जब आसमां उड़ने को है, सर्द आहें क्यों भरे  नव गीत जब रचने को है ! सामने बहती नदी  भला ताल बन कर क्यों प...
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शनिवार, मई 25

मन राधा बस उसे पुकारे

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मन राधा बस उसे पुकारे झलक रही नन्हें पादप में एक चेतना एक ललक, कहता किस अनाम प्रीतम हित खिल जाऊँ उडाऊं महक ! पंख तौलते ...
11 टिप्‍पणियां:
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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