मन पाए विश्राम जहाँ
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पाखी
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गुरुवार, जुलाई 28
जाग कर देखें जरा
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जाग कर देखें जरा कैद पाखी क्यों रहे जब आसमां उड़ने को है, सर्द आहें क्यों भरे नव गीत जब रचने को है ! सामने बहती नदी भला ताल बन कर क्यों प...
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शनिवार, मई 25
मन राधा बस उसे पुकारे
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मन राधा बस उसे पुकारे झलक रही नन्हें पादप में एक चेतना एक ललक, कहता किस अनाम प्रीतम हित खिल जाऊँ उडाऊं महक ! पंख तौलते ...
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