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सोमवार, मई 27

इक दिया, कुछ तेल, बाती

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इक दिया, कुछ तेल, बाती खो गया है कोई घर में चलो उसको ढूँढ़ते हैं बह रहा जो मन कहीं भी बांध कोई बाँधते हैं आँधियों की ऊर्ज...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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