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शुक्रवार, अगस्त 30

खो गया है आदमी

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खो गया है आदमी भीड़ ही आती नजर   खो गया है आदमी, इस जहाँ की इक फ़िकर  हो गया है आदमी ! दूर जा बैठा है खुद फ़ासलों की हद ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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