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सोमवार, सितंबर 23

शृंगार

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शृंगार  सज गया स्मित हास अधरों पर  नयनों में स्वप्नों का काजल,  दुल्हन का श्रृंगार हो गया मुखड़े पर लज्जा का आँचल  ! सहज मैत्री, विश्वास, आस...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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