मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

शुक्रवार, अगस्त 21

इच्छा से शुभेच्छा तक

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    इच्छा से शुभेच्छा तक   वस्तुओं की इच्छा  भरमाती है चेतना को,  व्यक्तियों की, रुलाती है ! सुख की अभिलाषा सुला देती है  जब समूह की चेतना स...
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गुरुवार, अगस्त 20

मोह और प्रेम

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  मोह और प्रेम    जहाँ छूट ही जाने वाला है  सब कुछ एक दिन  वहाँ कर सकता है मोह  कोई मदहोश होकर ही जहां काल चारों ओर अपने विकराल पंजे फैलाये ...
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बुधवार, अगस्त 19

योग और प्रेम

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योग और प्रेम    जानने की इच्छा  खुद को जानने की  यदि जानने वाले की इच्छा बन जाये  अर्थात ज्ञाता यदि स्वयं को जानने की इच्छा करे  तो जो क्रिय...
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मंगलवार, अगस्त 18

स्वप्न से जागरण तक

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  स्वप्न से जागरण तक     स्वप्न अचेतन गढ़ता है   है वह आँख जिससे  झाँका जा सकता है भविष्य में  वह दर्पण भी, जिसमें, अनजाना रह गया  खुद से ही ...
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सोमवार, अगस्त 17

लॉक और अनलॉक

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  लॉक और अनलॉक    कभी लॉक और कभी अनलॉक में रहते  बड़े हो रहे हैं जो शिशु  क्या बदल नहीं जायेंगे  उनके लिए जीवन मूल्यों के आधार ? लोगों से न म...
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रविवार, अगस्त 16

सोचे सोच न होवई

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  सोचे सोच न होवई मन बुनता है शब्दों से  विचारों की टोकरियाँ  और भरता रहता है सपनों के फूल  भावों की डोर में पिरो कर  नादान है .. यह नहीं जा...
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शुक्रवार, अगस्त 14

स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक शुभकामनायें

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  देश हमारा    सदा सत्य की राह दिखाता गीत शांति का रहे सुनाता,  ‘वसुधैव कुटुंबकम’ मानकर  सदा सभी का सुहित चाहता !   देश हमारा आगे बढ़ता  सुख-...
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गुरुवार, अगस्त 13

फिर कोरोना देव अवतरित

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  फिर कोरोना देव अवतरित    पीला पात डाल से बिछड़ा  संग पवन के डोले  इत उत, हम भी बिछुड़े अपने घर से  पता खोजते गली-गली में !   कोई कहता काशी ज...
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बुधवार, अगस्त 12

गोकुल बना महकता उर यह

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  गोकुल बना महकता उर यह    टूट गए जब ताले मन के  खुलीं बेड़ियाँ मोह, अहम की,  गोकुल बना महकता उर यह  प्रकट भये श्यामा सुंदर भी !   वह चितचोर ...
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मंगलवार, अगस्त 11

जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर

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  जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर     अपनों के जब घाव लगे हों कोमल मन पर  टीस उठा करती हो फिर उनमें रह-रह  कर, कैसे कोई करे भरोसा तब इस...
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सोमवार, अगस्त 10

मन पंकज बन खिल सकता था !

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मन पंकज बन खिल सकता था   तन कैदी कोई मन कैदी  कुछ धन के पीछे भाग रहे,  तन, मन, धन तो बस साधन हैं  बिरले ही सुन यह जाग रहे !   रोगों का आश्रय...
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शुक्रवार, अगस्त 7

हर दिल की यही कहानी है

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 हर दिल की यही कहानी है  कुछ पाना है जग में आकर  क्या पाना है यह ज्ञात नहीं,  कुछ भरना है खाली मन में  क्या भरना है आभास नहीं !   जो नाम कमा...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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