राग अनंत हृदय ने गाया
मन राही घर लौट
गया है
पा संदेसा इक अनजाना,
नयन टिके हैं
श्वास थमी सी
एक पाहुना आने
वाला !
रुकी दौड़ तलाश
हुई पूर्ण
आनन देख लिया है किसका,
निकला अपना..
पहचाना सा
जाने कैसे बिछड़
गया था !
कदर न जानी जान
पराया
व्यर्थ दर्द के
दामन थामे,
एक ख़ुशी भीतर
पलती थी
जाने क्यों मुख
मोड़ा उससे !
रसभीनी ज्यों पगी
मधुक में
इक मनुहार छुपी
थी मन में,
जिसकी खातिर
आँखें बरसीं
वह झंकार बसी
कण-कण में !
द्वार खुले अब
दिल के ऐसे
भरा समन्दर,
गगन समाया,
सिमट गयीं सारी
सीमाएं
राग अनंत हृदय ने
गाया !
नयन न खुलते जग
फीका सा
मदिर-मदिर रस कोई
घोले,
मौन की गूँज सुनी
है जबसे
चुप रहें अधर भेद
न खोलें !
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी कविता जब भी पढ़ता हूँ
जवाब देंहटाएंबस प्रभावित हो ही जाता हूं ।
स्वागत व आभार रोहितास जी, जानकर अच्छा लगा कि रचना आपको पसंद आई.
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ललिता पवार और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
हटाएंमौन का अनंत राग हृदय झंकृत कर जाता है ...
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण रचना ...
स्वागत व आभार दिगम्बर जी !
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"
बहुत बहुत आभार ध्रुव जी !
हटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना....
स्वागत व आभार रीना जी !
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 28फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार पम्मी जी !
हटाएंचुप रहे अधर भेद न खोले .... अनुपम भाव
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार सदा जी !
हटाएंस्वागत व आभार नीतू जी !
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