सोमवार, जून 2

भिगो गई है प्रीत की धारा


भिगो गई है प्रीत की धारा 


दिल की गहराई में बसता 

सत्य एक ही, प्रेम एक ही, 

दिया किसी ने, चखा किसी ने

सुख-समता का स्वाद एक ही !


जैसे जल नदिया का या फिर 

अंबर में बादल बन रहता, 

भाव प्रीत का हर इक दिल में 

कभी बह रहा, कभी बरसता !


उसी चेतना से आयी थी

उसी चेतना को कर पोषित, 

भिगो गई शुभ प्रीत की धारा 

मन-प्राण हुए सबके हर्षित !


शुभ भावना जगी जो भीतर 

प्रसून मैत्री के जो पुष्पित, 

अवसर पाकर मुखर हुए जब

करें ह्रदय को पुन: सुवासित !

शनिवार, मई 31

कामना का अभाव

कामना का अभाव 


जैसे धुएँ से ढकी रहती है अग्नि 

और धूल से दर्पण 

वैसे ही ढक जाती है चेतना 

कामना के आवरण से 

उजागर नहीं होने देती सत्य 

अनावृत मन ही हो जाता अनंत

हर कामना यदि अर्पित हो जाये 

रिक्त अन्तर में विश्वास यह भर जाये 

 पल-पल कुशल-क्षेम कोई रखे ही जाता 

तो हर बार वार अभाव का ख़ाली चला जाता 

पूर्णता की तलाश हर अभाव को मिटाना है 

मुक्त हो हर प्रभाव से, स्वभाव में आ जाना है ! 


बुधवार, मई 28

चुनाव हमारा है




चुनाव हमारा है

कल हम हो जायेंगे विदा 
और परसों 
लोग हमें भूल जायेंगे  
इस तरह 
जैसे कि कभी था ही नहीं 
अस्तित्त्व हमारा
इस दुनिया में 
हमारे हाथ में है ‘आज’ 
चाहे तो गीत गुनगुना लें
या उस अहंकार को सजा लें
जो है ही नहीं।।
उसके कारण अपने पावों में
काँटों को चुभा लें 
या दी है जिसने जिन्दगी की नेमत 
उस रब को रिझा लें !

सोमवार, मई 26

चुनाव

चुनाव 


 गा रहे पंछी 

 बह रही हवा 

घूम रही धरा  

 हो रहा अपने आप सब कुछ !


चल रही श्वास  

 बढ़ रही उम्र  

 दौड़ रहा मन  

 हो रहा अपने आप सब कुछ !


 साक्षी

भूताकाश व चित्ताकाश का 

जिस पर  

टिकी है सारी सृष्टि 


अकर्ता 

वह अनुमंता 

हर चुनाव 

जिसके हाथ में  !


गुरुवार, मई 22

देवी कवच

देवी कवच 


शैलपुत्री सी अडिग हो 

नित ब्रह्म में विचरण करे, 

चन्द्र ज्योति निनाद घंटा 

शुभ चेतना धारण करे !


स्कन्द जैसी वीरता हो 

कात्यायनी सी मधुर छवि, 

  कालरात्रि सी अति भीषण

गौरी माता सी हो द्युति !


सिद्धिदात्री हो प्रदाता 

चेतना पावन बनेगी,  

हर काल औ’ हर देश में 

सत्य का साधन बनेगी ! 


जगे प्राणशक्ति बन प्रबल 

उर भाव सारे शुद्ध हों, 

मन समर्पित हों हमारे 

सभी सर्वदा प्रबुद्ध हों !


हर दिशा में वह हमारा

मार्ग दर्शन मंगल करें,  

देवी कवच सी बन सदा  

नित भक्ति की रक्षा करें !


गुरुवार, मई 15

कृतज्ञता का फूल


कृतज्ञता का फूल 


समय से पूर्व

और आवश्यकता से अधिक 

जब मिलने लगे 

जो भी ज़रूरी है 

तो मानना चाहिए कि 

ऊपरवाला साथ है 

और कृपा बरस रही है !


कृतज्ञता का फूल 

जब खिलने लगे अंतर में 

तो जानना चाहिए कि 

मन पा रहा है विश्राम 

और आनंद-गुलाल बिखर रहा है !


सब मिला ही हुआ है 

यह अनुभव में आ जाये 

तो छूट जाती है हर चाह

राह के उजाले गवाह बन जाते 

कि विश्वास का दीपक ह्रदय में 

जलने लगा है !


सोमवार, मई 12

सरल और तरल

सरल और तरल 


चीजें जैसी हैं, वैसी हैं 

हम उन्हें खींच कर

 बनाना चाहते हैं 

जैसी हम उन्हें देखना चाहते हैं 

यही खिंचाव तो तनाव है 

तनाव भर देता है मन को

 उलझन से 

कर देता है जटिल 

छा जाती है आत्मग्लानि व्यर्थ ही 

चीजें जैसी हैं सुंदर हैं 

मान लें यदि

 कोई मापदंड न बनायें 

कोई निर्णय न दें 

पक्ष या विपक्ष में 

स्वयं को सदा 

सही सिद्ध करने की 

ज़िद छोड़ दें 

तो सारा तनाव घुल जाता है 

मन सरल और तरल होता जाता है 

और आत्मा 

अपने सहज स्वरूप में 

खिली रहती है !

अनायास ही सहज प्रेम  

जो चारों ओर बिखरा है 

हवा और धूप की तरह 

प्रतिबिंबित होने लगता है भीतर से !


शनिवार, मई 10

जब युद्ध में हो संवाद !




जब युद्ध में हो संवाद


घंटनाद मंदिरों के अब बन जाने दो सिहंनाद,

आज वही युग आया जब युद्ध में हो संवाद !


जाग उठे अब जन-जन ऐसी रणभेरी बजने दो, 

क्रांति बिगुल बजाए ऐसा हर मस्तक सजने दो ! 


विप्लव आज अवश्यम्भावी युग बीते हम सोये 

कैद हुए नित पीड़ा में पाया क्या बस रोये ? 


भुला दिये कौशल का सम्मान पुनः करना है, 

भारतीयों को जाग के भीतर स्वयं अभय भरना है ! 


भीतर पाकर परम शक्तियाँ जग में उसे दिखाएं, 

आत्म शांति से उपजे कलरव क्रांति गीत बन जाएँ ! 


कोना कोना गूंज उठे फिर ऐसा रोर मचे, 

उखड़ें सड़ी गली नीतियाँ जम के शोर मचे ! 


बुधवार, मई 7

युद्ध

युद्ध 


छाने लगे युद्ध के बादल 

पर भय नहीं दिल में किसी के

अटूट भरोसा है भारतीय सेना पर 

शौर्य और वीरता के चर्चे सुने 

देखी उनकी दरियादिली 

बन सहायक अन्य देशों के 

शांति सेना में बहादुरी के परचम लहराते 

निश्चिंत है हर भारतीय 

युद्ध सीमा पर लड़ा जाएगा 

भारत को अपना दुश्मन मानता है 

उस पाकिस्तान को 

कड़ा जवाब दिया जाएगा 

  प्रधानमंत्री संयत

देश की योजनाओं को 

करते कार्यान्वित 

रक्षा मंत्री स्थिर 

देते देश को आश्वासन 

विपक्षी प्रश्न पूछ-पूछ 

वातावरण को हल्का बनायें 

यदि कुछ न कहें तो 

कहीं लोग उनको भूल न जायें 

 तंग आ चुकी जनता 

आतंक के आकाओं से 

अब आर-पार की लड़ाई होनी है 

 राह की हर बाधा मिटा 

देश को नई फसल बोनी है !


शनिवार, मई 3

बस ! अब और नहीं

बस ! अब और नहीं 

उलझ गई थी 

आज़ादी के वक्त 

समस्या वह सुलझाने वाली है 

एक मुल्क 

जो झूठ की बुनियाद पर 

खड़ा हुआ  

 चूलें उसकी हिलने वाली हैं 

छल से लिया बलूचिस्तान 

और आधा कश्मीर हथिया लिया 

कद्र नहीं की सिंध की कभी 

कर पंजाब के टुकड़े 

एक देश बना लिया 

दुनिया के नक़्शे पर नहीं रहेगा  

आतंकियों का अनाचार 

भारत अब एक दिन भी 

नहीं सहेगा 

दशकों से जिस बोझ को 

ढोती आ रही है दुनिया 

उस बोझ को उतार फेंकने का 

दिन क़रीब है 

जाग रहा जाने कितने 

जुल्म के सताये लोगों का

 नसीब है !


गुरुवार, मई 1

मिलन

मिलन 


जो ख़ुशबू बन साथ चला है 

उस से ही हर ख़्वाब पला है 


जीवन का जो सार दे रहा 

वही मधुर आधार दे रहा 


सीधा-सच्चा जिसका पथ है 

मिट जाती हर इक आपद है 


सारे शब्द दूर जा बैठे 

सुरति जहाँ दिल में आ पैठे 


गुंजन कोई गूँज रही है 

शुभ प्रकाश की नदी बही है 


 यामा-दिवस भेद मिटता है 

चारों याम मिलन घटता है