विवाह जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने वाला एक पावन बंधन है। इस एक रिश्ते में सारे रिश्ते छिपे हैं। ऊपर-ऊपर से लोग एक को ही देख पाते हैं पर जो भी गहराई में जाते हैं, वे जीवनसाथी में परमेश्वर का रूप भी पाते हैं; जो हर मोड़ पर साथ खड़ा है, जिसके साथ ने सिखाया कि प्रेम हर बात से बड़ा है।मित्र की तरह साथ चलते-खेलते, संगी की हर पीड़ा को अपना समझते, उम्र के अंतिम पड़ाव तक आते-आते मन से भी आगे आत्मा से जुड़ जाते हैं !
बन के इक-दूजे का संबल
झर-झर ज्यों बहता है निर्झर
नीरव किसी अरण्य प्रांत में,
ऐसे ही बहता है अंतर
प्रेम बना इस शुभ प्रभात में !
दशकों पहले संग चले थे
आज भी राही से मार्ग पर,
बन के इक-दूजे का संबल
बढ़ते जाते निर्भय होकर !
मन के पार हुए जब जाना
युग-युग से है साथ अनूठा,
नदी-नाव संजोग नहीं था
जन्मों का अटूट था नाता !
मन को एक दिशा मिलती है
भावनाएँ भी सुदृढ़ होतीं,
साहचर्य और मित्रता की
उर में सुरभित बेलें खिलतीं !
एक-दूसरे के पूरक बन
जीवन साथी जग में विचरें,
शिव-शक्ति की कर आराधना
प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !
इस पावन बंधन के पवित्र नेह के सुरभि से दिग्-दिगंत महक उठा । अति सुन्दर भाव एवं कृति ।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आपका आना सुखद है और इतनी सुंदर प्रतिक्रिया इसे दुगना कर रही है अमृता जी, स्वागत व आभार!
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०८-०१ -२०२२ ) को
'मौसम सारे अच्छे थे'(चर्चा अंक-४३०३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी!
हटाएंमन को एक दिशा मिलती है
जवाब देंहटाएंभावनाएँ भी सुदृढ़ होतीं,
साहचर्य और मित्रता की
उर में सुरभित बेलें खिलतीं !
बहुत ही खूबसूरत😍
स्वागत व आभार मनीषा जी !
हटाएंबहुत सुंदर मधुर रचना....🌷🙏🌷
जवाब देंहटाएंएक-दूसरे के पूरक बन
जवाब देंहटाएंजीवन साथी जग में विचरें,
शिव-शक्ति की कर आराधना
प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !
बहुत सुन्दर भावनात्मक कृति । अनन्त शुभकामनाएं ॥
वेवहिक बंधन से बने पवित्र रिश्ते पर सुंदर अभिव्यक्ति , बहुत शुभकामनायें आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंआपको भी शुभकामनाएँ
हटाएंएक-दूसरे के पूरक बन
जवाब देंहटाएंजीवन साथी जग में विचरें,
शिव-शक्ति की कर आराधना
प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !
सुंदर रचना...
वाह अप्रतिम सृजन
जवाब देंहटाएं