शुक्रवार, जनवरी 7

बन के इक-दूजे का संबल



विवाह जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने वाला एक पावन बंधन है। इस एक रिश्ते में सारे रिश्ते छिपे हैं। ऊपर-ऊपर से लोग एक को ही देख पाते हैं पर जो भी गहराई में जाते हैं, वे जीवनसाथी में परमेश्वर का रूप भी पाते हैं; जो हर मोड़ पर साथ खड़ा है, जिसके साथ ने सिखाया कि प्रेम हर बात से बड़ा है।मित्र की तरह साथ चलते-खेलते, संगी की  हर पीड़ा को अपना समझते, उम्र के अंतिम पड़ाव तक आते-आते मन से भी आगे आत्मा से जुड़ जाते हैं !

बन के इक-दूजे का संबल


झर-झर ज्यों बहता है निर्झर 

नीरव किसी अरण्य प्रांत में, 

ऐसे ही बहता है अंतर 

प्रेम बना इस शुभ प्रभात में !


दशकों पहले संग चले थे 

आज भी राही से मार्ग पर, 

बन के इक-दूजे का संबल

बढ़ते जाते निर्भय होकर !


मन के पार हुए जब जाना 

युग-युग से है साथ अनूठा, 

नदी-नाव संजोग नहीं था 

जन्मों का अटूट था नाता !


मन को एक दिशा मिलती है 

भावनाएँ भी सुदृढ़ होतीं, 

साहचर्य और मित्रता की 

उर में सुरभित बेलें खिलतीं !


एक-दूसरे के पूरक बन 

जीवन साथी जग में विचरें, 

शिव-शक्ति की कर आराधना 

प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !




12 टिप्‍पणियां:

  1. इस पावन बंधन के पवित्र नेह के सुरभि से दिग्-दिगंत महक उठा । अति सुन्दर भाव एवं कृति ।

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    1. बहुत दिनों बाद आपका आना सुखद है और इतनी सुंदर प्रतिक्रिया इसे दुगना कर रही है अमृता जी, स्वागत व आभार!

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०८-०१ -२०२२ ) को
    'मौसम सारे अच्छे थे'(चर्चा अंक-४३०३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. मन को एक दिशा मिलती है
    भावनाएँ भी सुदृढ़ होतीं,
    साहचर्य और मित्रता की
    उर में सुरभित बेलें खिलतीं !
    बहुत ही खूबसूरत😍

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  4. एक-दूसरे के पूरक बन
    जीवन साथी जग में विचरें,
    शिव-शक्ति की कर आराधना
    प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !
    बहुत सुन्दर भावनात्मक कृति । अनन्त शुभकामनाएं ॥

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  5. वेवहिक बंधन से बने पवित्र रिश्ते पर सुंदर अभिव्यक्ति , बहुत शुभकामनायें आदरणीय ।

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  6. एक-दूसरे के पूरक बन

    जीवन साथी जग में विचरें,

    शिव-शक्ति की कर आराधना

    प्रतिपल श्रेष्ठ बने मन निखरे !

    सुंदर रचना...

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