शुक्रवार, अक्तूबर 21

दीपावली

दीपावली 


दिव्य प्रकाश, उजास, बिखेरे 

दीपावली तमस हर लेती,  

द्युति, आलोक, ज्योति, उजियारा

हर कोना जगमग कर देती !


माटी के दीपों का वैभव 

अंतर बाहर करे प्रकाशित,

 दीप्ति झर रही तिमिर तिरोहित 

लख हर नयन हुआ आनंदित !


दीप शिखा संकल्प जगाए 

जीवन पथ आलोकित करती, 

दैदीप्यमान स्वतः प्रज्जवलित

आत्मदीप में आभा भरती  !


2 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-10-22} को "वीरों के नाम का दिया"(चर्चा अंक-4589) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं