तू मेरे पास है,
भर रहा नित नयी
हृदय में आस है !
तुझको देखा नहीं
पर बता तो सही,
प्रीत की धार यह
बिन मिले ही बही !
तू सबब है यहाँ
जगत सजदा करे,
हे माया पति
रच दे पल में जहाँ,
कोई जाने नहीं
तू ही सबमें छिपा,
खुद को पा कर बँधा
नित छुड़ा ही रहा !
मन हुआ क़ैद हैं
अपने ही जाल में,
कैसे छोड़ेगा तू
हमें निज हाल में !
इल्म देता हुआ
सदा रस्ता दिखा,
ले चले है हमें
प्यारा रहबर ख़ुदा !