मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

मंगलवार, अप्रैल 25

एक लघु कहानी

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एक लघु कहानी कल रात्रि पुनः स्वप्न में उसे वही स्वर्ण कंगन दिखा, साथ ही दिखी मारिया की उदास सूरत. वह झटके से उठकर बैठ गयी. एक बार ...
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सोमवार, अप्रैल 24

चलों संवारें वसुधा मिलकर

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चलों संवारें वसुधा मिलकर  विश्व युद्ध की भाषा बोले प्रीत सिखाने आया भारत, टुकड़ों में जो बांट हँस रहे उनको याद दिलाता भारत ! ...
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शुक्रवार, अप्रैल 21

नई कोंपलें जो फूटी हैं

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नई कोंपलें जो फूटी हैं कोकिल के स्वर सहज उठ रहे जाने किस मस्ती में आलम, मंद, सुगन्धित पवन डोलती आने वाला किसका बालम ! गुपचुप-...
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बुधवार, अप्रैल 19

अनजाने गह्वर भीतर हैं

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अनजाने गह्वर भीतर हैं पल-पल बदल रहा है जीवन क्षण-क्षण सरक रही हैं श्वासें, सृष्टि चक्र अविरत चलता है किन्तु न हम ये राज भुला दें ...
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सोमवार, अप्रैल 17

वरदानों को भूल गया मन

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वरदानों को भूल गया मन रिश्ता जोड़ रहा है कब से  पल-पल दे सौगातें  जीवन, निज पीड़ा में खोया पागल वरदानों को भूल गया मन ! ठगता आ...
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सोमवार, अप्रैल 3

एक रहस्य

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एक रहस्य थम जाती है कलम बंद हो जाते हैं अधर ठहर जाती हैं श्वासें भी पल भर को लिखते हुए नाम भी... उस अनाम का नजर भर कोई देख ल...
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मंगलवार, मार्च 28

मिट जाने को जो तत्पर है

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मिट जाने को जो तत्पर है मरना जिसने सीख लिया है उसको ही है हक जीने का, साँझ ढले जो मुरझाये, दे प्रातः उसे अवसर खिलने का ! ...
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शनिवार, मार्च 25

मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (अंतिम भाग )

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मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (अंतिम भाग ) गेस्टहाउस के कर्मचारियों ने जो वहाँ पिछले कुछ वर्षों से रह रहे हैं कुछ रोचक बातें बतायीं...
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शुक्रवार, मार्च 24

मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (तीसरा भाग )

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मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश (तीसरा भाग ) १७ मार्च २०१७-लुंगलेई आज भी सुबह मुर्गे की आवाज आने से पहले ही नींद खुल गयी. आज की सुबह भी...
गुरुवार, मार्च 23

मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश ( दूसरा भाग )

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मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश ( दूसरा भाग ) सुबह पांच बजे से भी पहले मुर्गे की बांग सुनकर हम उठे गये. सूर्योदय होने को था, कुछ तस्वीरें ...
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बुधवार, मार्च 22

ओ रे मन !

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ओ रे मन ! किस उलझन में खोये रहते  किस पीड़ा को पल-पल सहते, सुनो गीत जो नभचर  गाते निशदिन  मधुर राग बहता है ! किस शून्य को ...
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मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश

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मिजोरम - एक अनोखा प्रदेश १४ मार्च २०१७-आइजोल  सुबह पौने छह बजे हम दुलियाजान-असम से रवाना हुए थे. सवा आठ बजे फ्लाईट डिब्रूगढ़ के म...
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शनिवार, मार्च 11

जीवन स्वप्नों सा बहता है

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जीवन स्वप्नों सा बहता है   आज नया  दिन  अग्नि समेटे निज दामन में  उगा गगन में अरुणिम सूरज  भर उर में सुर की कोमलता  नय...
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शुक्रवार, मार्च 10

दिल का द्वार रहे उढ़काए

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दिल का द्वार रहे उढ़काए  नजर चुरायी जिस क्षण तुझसे  खुद से ही हम  दूर हो गये,  तेरे दर पर झुके नहीं जो   दिल खुद से मजबूर...
गुरुवार, मार्च 9

एक दिन

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एक दिन एक दिन आएगा   जब सही अर्थों में समान होंगे हम  परमात्मा की ज्योति से दीप्त  मनु और शतरूपा की भांति  एक समान आवश...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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