मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

गुरुवार, जुलाई 28

नाम प्रेम का लेकर

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नाम प्रेम का लेकर उससे मिलकर जाना हमने प्यार किसे कहते हैं, नाम प्रेम का लेकर कितने,  खेल चला करते हैं ! चले हुकूमत निश...
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मंगलवार, जुलाई 26

ढाई आखर भी पढ़ सकता

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ढाई आखर भी पढ़ सकता उसका होना ही काफी है शेष सभी कुछ सहज घट रहा, जितना जिसको भाए ले ले दिवस रात्रि वह सहज बंट रहा ! स्वर्ण...
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शुक्रवार, जुलाई 22

पावन मौन यहाँ छाया है

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पावन मौन यहाँ छाया है सहज खड़े पत्थर पहाड़ सब जंगल अपनी धुन में गाते, पावन मौन यहाँ छाया है झरने यूँ ही बहते जाते ! वृक्ष ...
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गुरुवार, जुलाई 21

अमराई से कोकिल स्वर जब

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अमराई से कोकिल स्वर जब झर-झर झरते हरसिंगार जब भीतर भी कुछ झर जाता, कुम्हलाया बासी था जो मन पल भर में ही खिल जाता ! ...
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शुक्रवार, जुलाई 15

यह पल

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यह पल  अतीत के अनन्त युग सिमट  आते हैं  वर्तमान के एक नन्हे से क्षण में  भविष्य की अनंत धारा भी  छोटा सा यह पल कितना गहरा है  ...
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बुधवार, जुलाई 13

होना या न होना

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होना या न होना  होकर भी नहीं होता जो जैसे..मौन आकाश या अदृश्य अनिल  वास्तव में वही होता है  उसके आरपार निकल जाते हैं शब्द  उ...
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मंगलवार, जुलाई 5

विवाह की वर्षगांठ पर शुभकामनायें

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आज एक पुरानी कविता  तुम्हारे कारण यह जीवन यदि सुंदर स्वप्न सलोना है, तो सिर्फ तुम्हारे कारण ! इस मन का हर ख्वाब यूँ ही सच होन...
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बुधवार, जून 29

सच क्या है

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सच क्या है सच सूक्ष्म है जो कहने में नहीं आता सच भाव है जो शब्दों में नहीं समाता सच एकांत है जहाँ दूसरा प्रवेश नहीं पाता सच सन...
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मंगलवार, जून 28

स्वप्नों की इक धारा बहती

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स्वप्नों की इक धारा बहती भाव जगें कुछ नूतन पल-पल शब्दों की इक माल पिरो लें, प्रीत निर्झरी सिंचित करती उर का कोना एक भिगो लें !...
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सोमवार, जून 27

माया द्वन्द्वों का है खेल

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माया द्वन्द्वों का है खेल माया मनमोहक अति सुंदर किन्तु बाँधती मोह पाश में, सुख का देती सिर्फ छलावा जीवन कटता इसी आश में ! म...
रविवार, जून 26

ज्यों की त्यों

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ज्यों की त्यों हर लहर जो सागर से निकलती है सागर की खबर देती है हर दुआ जो दिल से निकलती है दिलबर की खबर ही देगी न .... और दुआ...
शुक्रवार, जून 24

प्रार्थना

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प्रार्थना पुहुप, पवन, पंछी व सितारे जो भी साथी-संग हमारे, सुख पायें, हो मंगल सबका प्रमुदित हो पनपें वे सारे  ! जो भी सुंदर है, ...
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मंगलवार, मई 17

अभी

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अभी अभी खुली हैं आँखें तक रही हैं अनंत आकाश को अभी जुम्बिश है हाथों में  लिख रही है कलम प्रकाश को अभी करीब है खुदा पद चाप ...
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शुक्रवार, मई 13

गुरूजी के जन्मदिन पर

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गुरूजी के जन्मदिन पर शब्द नहीं ऐसे हैं जग में जो तेरी महिमा गा पायें, भाव अगर गहरे भी हों तो व्यक्त हृदय कैसे कर पायें !   ...
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गुरुवार, अप्रैल 28

खिले रहें उपवन के उपवन

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खिले रहें उपवन के उपवन रिमझिम वर्षा कू कू कोकिल मंद पवन सुगंध से बोझिल, हरे भरे लहराते पादप फिर क्यों गम से जलता है दिल ! ...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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