मन पाए विश्राम जहाँ

नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !

गुरुवार, मार्च 30

एक आभा मय सवेरा

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एक आभा मय सवेरा नींद टूटे, जोश जागे  हृदय से हर सोग भागे,  याद में हो मन टिका जब  टूटते हैं मोह धागे ! प्रेम का सूरज दमकता  ज्योत्सना बन शां...
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मंगलवार, मार्च 28

रामनवमी के पावन पर्व पर

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रामनवमी के पावन पर्व पर  त्रेता युग में प्रकट हुए थे   मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम,   किन्तु आज भी अति ही पावन  शुभ परम सात्विक जिनका नाम ! खु...
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शुक्रवार, मार्च 24

एक मुल्क

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एक मुल्क  जैसे कोई जल  विलग हो जाए  बहते दरिया से  तो सूखने लगता है  वैसे ही झुलस रहा है एक मुल्क  अपने स्रोत से बिछड़ा  खानाबदोश सा कोई परि...
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बुधवार, मार्च 22

वही ख़ुदा उनमें भी बसता है उतना ही

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वही ख़ुदा उनमें भी बसता है उतना ही  रोटी-कपड़े की फ़िक्र नहीं होती जिनको  ख़ुदा की रहमत है कमी नहीं ज़रा उनको  चंद निवालों के लिए दिन-रात खट...
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सोमवार, मार्च 20

राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू

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राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू  जान-जान कर भी जाना नहीं जाता  जो किसी परिभाषा में नहीं समाता,  इक राज है जो आज तक खुल न पाया  है ख़ुद में ख़...
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शुक्रवार, मार्च 17

रिक्तता

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रिक्तता  जब ख़ाली हो मन का आकाश  तो कोई राजहंस तिरता है उसमें हौले-हौले  नील निरभ्र आकाश में वह श्वेत बादल सा हंस  जिसके पंखों की श्वेत आभा ...
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मंगलवार, मार्च 14

हम ही तो बादल बन बरसे

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हम ही तो बादल बन बरसे  तुझमें मुझमें कुछ भेद नहीं  मैं तुझ से ही तो आया है,  अब मस्त हुआ मन यह डोले  सिमटी यह सारी माया है ! यह नीलगगन, उत्त...
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शनिवार, मार्च 11

एक पुकार बुलाती है जो

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एक पुकार बुलाती है जो  कोई कथा अनकही न रहे   व्यथा कोई अनसुनी न रहे  ,  जिसने कहना-सुनना चाहा  वाणी उसकी मुखर हो रहे   ! एक प्रश्न जो सोया  ...
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गुरुवार, मार्च 9

सच है न !

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सच है न !  सच को झुठलाते हैं हम  लाख छुपाते भी हैं  भूल जाना चाहते हैं उसे  सच से मूँद लेते हैं आँखें  डरते भी हैं दरकिनार कर उसे  झूठ का एक...
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मंगलवार, मार्च 7

बादलों के पार

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बादलों के पार उठे धरा से छूने अम्बर मेघपुंज के पार आ गए छूटी पीछे दो की दुनिया इक का ही आधार पा गए I दूर कहीं है गंध धरा की स्वर्णिम क्षण यह...
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पलकों में अनुराग भर लिया

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पलकों में अनुराग भर लिया  आम बौराया, खिल मंजरी   झूल रही मद में गर्वीली, हवा फागुनी मस्त हुई है  बिखरी मदिर सुवास नशीली ! मोहक, मदमाता सा मौ...
सोमवार, मार्च 6

होली अंतर की उमंग है

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होली अंतर की उमंग है   है प्रतीक वसंत जीवन का यौवन का इंगित वसंत है, होली मिश्रण है दोनों का हँसते जिसमें दिग-दिगंत है ! रस, माधुर्य,  सरसता...
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गुरुवार, मार्च 2

जीने की अभिलाषा ऐसी

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जीने की अभिलाषा ऐसी  ढगा जा रहा दीवाना  मन अपनी ही क़ैदों में  जकड़ा,  उलझा  रहा व्यर्थ बंधन में  खुद  की ही छाया को पकड़ा ! जीने की अभिलाषा...
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Anita
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे! लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है.
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